लिवर की बीमारी में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं – जानें डॉक्टर से

लिवर की बीमारी में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं – जानें डॉक्टर से

लिवर हमारे शरीर का एक ऐसा अंग है, जिसकी अहमियत हम तब समझते हैं जब यह ठीक से काम करना बंद कर देता है। यह केवल हमारे खाने को पचाने में मदद करता है बल्कि शरीर में मौजूद हानिकारक टॉक्सिन्स को भी बाहर निकालता है। लिवर की सेहत पर असर पड़ने का मतलब है कि शरीर की पूरी मेटाबॉलिक प्रणाली पर दबाव बढ़ जाना। आजकल बदलती लाइफस्टाइल, अनियमित खान-पान, शराब का सेवन, मोटापा और वायरल संक्रमण जैसे हेपेटाइटिस के कारण लिवर से जुड़ी बीमारियाँ तेजी से बढ़ रही हैं। ऐसे में डॉक्टर हमेशा सलाह देते हैं कि समय रहते अपने खाने और जीवनशैली में बदलाव किया जाए, ताकि लिवर की समस्या गंभीर बने।

डॉ. शर्मा (गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट) बताते हैं कि लिवर के मरीजों के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज है सही खान-पान। अक्सर लोग सोचते हैं कि लिवर की समस्या सिर्फ दवाओं से ही ठीक होगी, लेकिन सच यह है कि डाइट का सही चुनाव लिवर की रिकवरी और उसकी कार्यक्षमता को बढ़ाने में बहुत बड़ा रोल निभाता है।

 

लिवर की बीमारी में सही खान-पान की अहमियत

लिवर की बीमारियों जैसे फैटी लिवर, हेपेटाइटिस, सिरोसिस आदि के मरीजों को ऐसा खाना चुनना चाहिए जो पचने में आसान हो, पोषक तत्वों से भरपूर हो और लिवर पर अतिरिक्त दबाव डाले। संतुलित डाइट केवल लिवर के सेल्स को रिपेयर करती है, बल्कि इंफ्लेमेशन को भी कम करती है और टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करती है। डॉक्टर कहते हैं कि ताजे फल और सब्जियाँ, साबुत अनाज और पर्याप्त मात्रा में पानी लिवर को हेल्दी रखने की कुंजी हैं।

 

क्या खाना चाहिए

लिवर के मरीजों को दिनभर के खाने में ज्यादा फाइबर और हल्का प्रोटीन शामिल करना चाहिए। ब्राउन राइस, ओट्स, दलिया, हरी पत्तेदार सब्जियाँ जैसे पालक, मेथी और सरसों लिवर की कोशिकाओं को स्वस्थ बनाए रखने में सहायक होती हैं। ताजे फल जैसे पपीता, सेब, नाशपाती और अमरूद फाइबर से भरपूर होते हैं और पाचन को आसान बनाते हैं, जिससे लिवर पर कम दबाव पड़ता है।

प्रोटीन भी लिवर के लिए बेहद जरूरी है क्योंकि यह क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की मरम्मत करता है। मरीजों को दालें, मूंग दाल, चना, सोया और अंडे का सफेद भाग लेना चाहिए। मछली जैसी कम फैट वाली प्रोटीन का भी सेवन लाभकारी होता है।

इसके अलावा, गाजर, चुकंदर, ब्रोकोली जैसी सब्जियाँ और नींबू, संतरा बेरीज़ जैसे फल एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं, जो फ्री रेडिकल्स को कम करके लिवर को डिटॉक्स करने में मदद करते हैं। अखरोट, बादाम और अलसी के बीज जैसे हेल्दी फैट स्रोत भी सीमित मात्रा में फायदेमंद होते हैं।

पानी लिवर के लिए जीवनरेखा की तरह है। दिनभर में कम से कम ढाई से तीन लीटर पानी पीना चाहिए। ग्रीन टी या तुलसी-अदरक वाला पानी भी टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद कर सकता है।

 

किन चीजों से बचना जरूरी है

लिवर की बीमारी में सबसे बड़ा नुकसान शराब और स्मोकिंग से होता है। यह केवल लिवर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि रिकवरी को भी धीमा कर देते हैं। डॉक्टर स्पष्ट कहते हैं कि लिवर के मरीजों को शराब से पूरी तरह दूर रहना चाहिए।

ज्यादा तैलीय और डीप फ्राइड फूड जैसे पकौड़े, समोसे, पिज्ज़ा और बर्गर लिवर पर दबाव डालते हैं और फैटी लिवर की समस्या को बढ़ा सकते हैं। पैक्ड और प्रोसेस्ड फूड जैसे चिप्स, कुकीज़, केक और कोल्ड ड्रिंक्स में ट्रांस फैट, अतिरिक्त शुगर और प्रिजर्वेटिव होते हैं, जो लिवर को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाते हैं।

डॉक्टर नमक और चीनी का सेवन कम करने की सलाह देते हैं क्योंकि यह लिवर में फैट जमा करने की प्रक्रिया को तेज कर देते हैं। रेड मीट और ऑर्गन मीट (जैसे लीवर, किडनी) पचने में भारी होते हैं और लिवर पर अतिरिक्त लोड डालते हैं। इसके अलावा, बिना डॉक्टर की सलाह के दवाओं का अधिक सेवन भी लिवर को नुकसान पहुंचा सकता है।

 

जीवनशैली में बदलाव की भूमिका

सिर्फ डाइट ही नहीं, बल्कि जीवनशैली में भी बदलाव जरूरी है। नियमित व्यायाम, स्वस्थ वजन बनाए रखना और समय पर चेकअप कराना लिवर की सेहत के लिए जरूरी है। नींद पूरी लेना और तनाव को नियंत्रित करना भी लिवर की रिकवरी में मदद करता है।

 

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निष्कर्ष

लिवर की बीमारी के मरीजों को यह समझना चाहिए कि उनकी सेहत काफी हद तक उनकी जीवनशैली और खाने-पीने की आदतों पर निर्भर करती है। जंक फूड, शराब और प्रोसेस्ड फूड से दूरी बनाकर और फाइबर एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर डाइट अपनाकर लिवर को स्वस्थ रखा जा सकता है। इसके साथ ही डॉक्टर की सलाह से Fytika -Fit Liver जैसे हर्बल सप्लीमेंट को शामिल करना लिवर की सेहत को प्राकृतिक तरीके से सपोर्ट करने का एक सुरक्षित और प्रभावी तरीका हो सकता है।

 

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