#WorldThyroidDay2023: थायरॉइड से जूझ रहे हैं, तो स्वस्थ रहने के लिए इन आहार को अपनाएं!

#WorldThyroidDay2023: थायरॉइड से जूझ रहे हैं, तो स्वस्थ रहने के लिए इन आहार को अपनाएं!

World Thyroid Day 2023: हर वर्ष 25 मई को विश्व थायरॉइड दिवस मनाया जाता है ताकि थायरॉइड समस्या के कारणों को लोग बेहतर ढंग से समझ सकें। इस अवसर पर हम आपको यह बता रहे हैं कि थायरॉइड रोग के कारण क्या हो सकते हैं।

थायराइड से पीड़ित लाखों लोग दुनिया भर में हैं, जिसके कारण उनके शारीरिक कार्यों को नियमित रूप से संचालित करने में बाधा होती है।भारत में हर 10 व्यक्तियों में से एक थायरॉयड से जूझता है। थायराइड रोग पर विभिन्न अध्ययनों ने अनुमान लगाया है कि लगभग 4.2 करोड़ भारतीय इससे प्रभावित हैं। यही कारण है कि हर साल 25 मई को विश्व थायरॉयड दिवस मनाया जाता है ताकि इस स्वास्थ्य समस्या के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाई जा सके।

थायरॉइड क्या है ?

थायरॉइड एक महत्वपूर्ण ग्रंथि है जो हमारे गर्दन के आगे गले के नीचे स्थित होती है। यह एक अंतःग्रंथि होती है जो थायरॉइड हार्मोन उत्पन्न करती है। थायरॉइड हार्मोन शरीर के मेटाबॉलिज़्म को नियंत्रित करने में मदद करते हैं, जिससे ऊर्जा उत्पादन, ऊर्जा संतुलन, रक्तनिर्माण, ग्रोथ, मानसिक स्थिति आदि का नियंत्रण होता है। T3 (Triiodothyronine) और T4 (Thyroxine) दोनों ही थायरॉइड हॉर्मोन्स हैं जो थायरॉइड ग्लैंड द्वारा उत्पन्न होते हैं। ये हॉर्मोन्स शरीर के मेटाबॉलिज़म को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।

थायरॉइड रोग एक हार्मोनल विकार है जो थायरॉइड ग्लैंड के द्वारा उत्पन्न होता है। यह रोग आमतौर पर आयोडीन की कमी के कारण होता है, जिसके परिणामस्वरूप थायरॉइड ग्लैंड में हार्मोनों का उत्पादन अप्रत्याशित रूप से होता है। इसके अलावा, शरीर में जरूरी पोषक तत्वों जैसे जिंक, सेलेनियम, फॉस्फोरस और विटामिन्स की कमी भी इस बीमारी के होने का कारण बन सकती है। इन पोषक तत्वों की कमी के कारण थायरॉइड रोग की संभावना बढ़ती है। कुछ मामलों में, थायरॉइड रोग आनुवांशिकता के कारण भी हो सकता है।

थायरॉइड की समस्या मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है। पहला प्रकार है हाइपोथायरॉइडिज़म, जिसमें थायरॉइड ग्लैंड द्वारा हार्मोन का उत्पादन कम होता है। दूसरा प्रकार है हाइपरथायरॉइडिज़म, जिसमें थायरॉइड ग्लैंड से हार्मोन का अधिक उत्पादन होता है। थायरॉइड की समस्या से अधिकांश लोग हाइपोथायरॉइडिज़म के मरीज होते हैं।

हाइपोथायराइडिज़म के लक्षण

  • अनपेक्षित वजन बढ़ना
  • चेहरे और पैरों में सूजन
  • थकान और सुस्ती
  • भूख की कमी
  • अत्यधिक नींद आना
  • अत्यधिक ठंड लगना
  • महिलाओं में अनियमित मासिक धर्म का बदल जाना
  • बालों का झड़ना
  • गर्भाधान में समस्या

हाइपरथायरॉइडिज़म के लक्षण

  • अनपेक्षित वजन कम होना, अच्छी तरह खाने के बावजूद
  • बेचैनी और चिंता
  • हाथों और पैरों में कंपन
  • गर्मी के प्रति अत्यधिक संवेदनशीलता
  • मूड स्विंग और नींद में समस्या
  • तेज धड़कन और हृदय से महसूस होने वाली धड़कन
  • मांसपेशियों में कमजोरी
  • ध्यान और स्मृति में कमजोरी
  • दृष्टि समस्याएं या आंखों में खुजली

दवाइयों के साथ-साथ शारीरिक और जीवनशैली परिवर्तन भी थायरॉइड के नियंत्रण में मदद कर सकते हैं। थायरॉइड से ग्रसित मरीजों को अपनी डायट में किन चीजों का पालन करना चाहिए ताकि प्राकृतिक रूप से वह अपनी बीमारी को नियंत्रित कर सके?

नियमित व्यायाम: नियमित व्यायाम करना थायरॉइड के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह आपकी मेटाबोलिज़म को बढ़ाने, ऊर्जा स्तर को सुधारने और शारीरिक और मानसिक तनाव को कम करने में मदद करेगा। योग, वॉकिंग, जॉगिंग, स्विमिंग, डांस और वज्रासन, सर्वांगासन, उत्तानपादासन जैसे योगासन थायरॉइड के लिए उपयुक्त हो सकते हैं।
तनाव प्रबंधन: तनाव थायरॉइड डिसऑर्डर का मुख्य कारण हो सकता है। ध्यान और मेडिटेशन करना तनाव को कम करने और मानसिक स्थिति को स्थिर करने में मदद कर सकता है। योग और प्राणायाम के अभ्यास, शांति प्राप्ति की कोशिश, ध्यान, योग निद्रा और विभिन्न रिलैक्सेशन तकनीकें आपको तनाव मुक्ति में सहायता प्रदान कर सकती हैं।
आयोडाइन युक्त नमक का उपयोग: आपको अपने भोजन में हमेशा आयोडाइन युक्त नमक का उपयोग करना चाहिए। आयोडाइन शरीर में थायरॉइड हार्मोन के उत्पादन को संतुलित रखने में मदद करता है। इससे आपके शारीरिक और मानसिक स्थिति में सुधार होती है।
जिंक और सेलेनियम युक्त खाद्य पदार्थ: थायरॉइड के मरीजों के लिए जिंक और सेलेनियम युक्त खाद्य पदार्थ अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। ये दो तत्व थायरॉइड की समस्याओं को नियंत्रित करने में मददगार होते हैं। आपको योगर्ट, मौसमी फल और सब्जियां जैसे आहार में इन तत्वों को अवश्य शामिल करना चाहिए। इसके साथ ही, अंडा, साबुत अनाज, दालें, राजमा, देसी चना, काबुली चना, अलसी के बीज और ओएस्टर)एक समुद्री भोजन) जैसी चीजें भी आपके आहार में शामिल होनी चाहिए ताकि जिंक और सेलेनियम की कमी को दूर किया जा सके।
थायराइड का घरेलू उपचार: थायराइड का उपचार कई तरह से किया जाता है जिसमें एंटी-थायराइड गोलियां, लेवोथायरोसिन, रेडियोएक्टिव आयोडीन, सर्जरी और घरेलू नुस्खे आदि शामिल हैं।कुछ घरेलू नुस्खे इस प्रकार है :

  1. अश्वगंधा को गाय के दूध में मिलाकर पीने से फायदा मिलता है। इसके साथ ही अश्वगंधा की पत्तियों या जड़ को पानी में उबालकर भी सेवन किया जा सकता है।
  2. तुलसी के रस में आधा चम्मच एलोवेरा जूस मिलाकर सेवन करने से थायरॉइड में लाभ मिलता है।
  3. हरी धनिया की पत्तियों को पीसकर पानी में मिलाकर सेवन करने से थायरॉइड समस्या में आराम मिलता है।
  4. रोजाना एक चम्मच त्रिफला चूर्ण का सेवन करने से थायरॉइड में आराम मिल सकता है।
  5. रात में सोने से पहले एक गिलास दूध में एक चम्मच हल्दी मिलाकर पीने से थायरॉइड में फायदा होता है।
  6. सुबह खाली पेट लौकी का जूस पीने से थायरॉइड समस्या में लाभ मिल सकता है।
  7. अलसी का चूर्ण में पाए जाने वाले ओमेगा 3 थायरॉइड में आराम पहुंचाता है।

थायराइड में सही आहार का चयन करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, लेकिन उसी तरह अधिकतर लोग ध्यान नहीं देते हैं कि कौन सी चीजें थायराइड से पीड़ित व्यक्तियों के लिए हानिकारक हो सकती हैं। यहां हम आपको कुछ ऐसी चीजों के बारे में बता रहे हैं, जिनका सेवन आपको बचना चाहिए जैसे ; चीनी, सफेद चावल, केक, कुकीज, ऑयली फूड ,सॉफ्ट ड्रिंक्स, मसालेदार चीजें, मैदा से बनी चीजें ,चाय और कॉफी ,मलाई और मिठाई, चावल और सफेद नमक।

थायरॉइड की जांच 

थायरॉइड एक चिंता का विषय है जो सदैव आपके जीवन में प्रभाव डालता रहता है। इसके नियंत्रण के लिए आपको उम्र भर दवाओं का सेवन करना पड़ता है।थायराइड की जांच एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो आपकी स्वास्थ्य स्थिति को निर्धारित करने में मदद करती है। यह जांच थायराइड संक्रमण और थायराइड ग्रंथि की समस्याओं को पहचानने के लिए की जाती है। थायराइड की जांच के लिए कई प्रकार के परीक्षण किए जाते हैं। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण परीक्षण निम्नलिखित हैं:

ब्लड टेस्ट: इस परीक्षण के माध्यम से आपके रक्त में टीएसएच (Thyroid Stimulating Hormone), टी 3 (Triiodothyronine) और टी 4 (Thyroxine) के स्तर की पुष्टि की जाती है। ये रक्त परीक्षण थायराइड के संक्रमण की जांच करने के लिए महत्वपूर्ण होता है।

न्यूक्लियर इमेजिंग: यह परीक्षण थायराइड ग्रंथि द्वारा आयोडीन के इस्तेमाल की न्यूक्लियर इमेजिंग (Nuclear Imaging) करके किया जाता है। इससे थायराइड ग्रंथि की स्थिति और उसमें किसी असामान्य गांठ की पुष्टि की जा सकती है।

बायोप्सी: थायराइड ग्रंथि पर किसी असामान्य गांठ की बायोप्सी किया जाता है। इसमें थायराइड ग्रंथि के कुछ नमूने लेकर उन्हें जांचा जाता है ताकि किसी गांठ के कारण होने वाली समस्या की पुष्टि की जा सके।

ध्यान देने योग्य बातें

बहुत से लोग यह बात समझकर दवाइयों का सेवन बीच में बंद कर देते हैं कि इससे बचें। ऐसा करना नहीं चाहिए। आपको दवाओं के संबंध में कोई भी निर्णय लेने से पहले अपने डॉक्टर से अवश्य परामर्श लेना चाहिए।

  • इसके साथ ही, हर 6 महीने में आपको अपनी थायरॉइड की जांच करानी चाहिए। इससे आपकी शारीरिक स्थिति की निगरानी होगी और इस बीमारी को गंभीर होने से रोका जा सकेगा।
  • गर्भावस्था में थायरॉइड की दवाएं बंद न करें क्योंकि इससे बच्चे के विकास पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। थायरॉइड का अनियंत्रित रहना गर्भावस्था के दौरान समस्याओं को बढ़ा सकता है।
  • संक्षेप में इस ब्लॉग का निष्कर्ष है कि विश्व थायराइड दिवस 2023 के मौके पर हमें थायरॉइड से जूझ रहे लोगों के लिए स्वस्थ आहार विकल्पों को अपनाना चाहिए। इससे हम अपने स्वास्थ्य को सुरक्षित रख सकते हैं और थायराइड से जुड़ी समस्याओं को कम कर सकते हैं।

(डिस्क्लेमर: इस ब्लॉग में दी गई जानकारी केवल शिक्षात्मक उद्देश्यों के लिए है और यह चिकित्सा परामर्श या निदान की जगह नहीं लेती है। हमारी प्रयास केवल संदर्भ के रूप में उपयोगी जानकारी प्रदान करना है, लेकिन हम किसी भी प्रकार की जटिल चिकित्सा परिस्थितियों के निदान, उपचार या सलाह की जिम्मेदारी नहीं लेते हैं। कृपया थायराइड से जुड़ी किसी भी समस्या के मामले में विशेषज्ञ चिकित्सक या स्वास्थ्य विशेषज्ञ से संपर्क करें।)
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