आज की तेज़ और व्यस्त ज़िंदगी में हर किसी की यही कोशिश होती है कि उसकी सेहत अच्छी बनी रहे – न केवल शारीरिक रूप से, बल्कि मानसिक रूप से भी। अच्छी सेहत का मतलब सिर्फ बीमारियों से बचाव नहीं है, बल्कि पूरे शरीर और मन का संतुलन बनाए रखना है। आयुर्वेद में भी कहा गया है – “स्वस्थ व्यक्ति की रक्षा ही सर्वोच्च चिकित्सा है।” वैद्य जी की कुछ आसान लेकिन असरदार सलाह आज हम आपके साथ साझा कर रहे हैं, जिन्हें अपनाकर आप न केवल हार्ट हेल्थ, डायबिटीज़ और फैटी लिवर जैसी समस्याओं से दूरी बना सकते हैं, बल्कि रोज़मर्रा की ज़िंदगी में बेहतर महसूस कर सकते हैं।
1. मानसिक सेहत का ध्यान रखिए
तनाव, चिंता और गुस्सा धीरे-धीरे हमारे शरीर को भी प्रभावित करते हैं। मेन्टल हेल्थ का खराब होना मतलब शरीर का बीमार होना ही है। ये न केवल मन को अस्थिर करते हैं, बल्कि हार्मोनल असंतुलन और इम्युन सिस्टम पर भी असर डालते हैं। रोज़ाना 10-15 मिनट का ध्यान, प्राणायाम या शांत वातावरण में बैठना फायदेमंद है। मोबाइल की लत और स्क्रीन को ज्यादा टाइम देना आपको समस्या में डाल सकता है, इसलिए इनसे समय-समय पर दूरी बनाना ज़रूरी है। हफ्ते में एक दिन डिजिटल डिटॉक्स ज़रूर करें, ताकि दिमाग को भी आराम मिल सके। कुछ मामलों में, लोग मानसिक शांति के लिए ब्राह्मी या अश्वगंधा जैसे सपोर्ट भी लेते हैं, लेकिन इन्हें सिर्फ विशेषज्ञ की सलाह से ही अपनाएं।
2. वजन को संतुलन में रखें

अनियंत्रित वजन कई स्वास्थ्य समस्याओं की जड़ बन सकता है। अत्यधिक वजन से हाई बीपी, फैटी लिवर और कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं, जबकि बहुत कम वजन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता घट सकती है। संतुलित आहार लें जिसमें मौसमी फल, हरी सब्ज़ियाँ, साबुत अनाज और प्रोटीन शामिल हों। बहुत ज़्यादा तला-भुना खाना और शक्करयुक्त पेय से बचें। वेट लॉस के टिप्स अपनाएं, जैसे, हर दिन तेज़ चलना, योग या हल्का व्यायाम करने से शरीर में ऊर्जा बनी रहती है और आप खुद को बेहतर महसूस करते हैं। बाजार में नेचुरल वेट लॉस करने वाले सप्लीमेंट भी मौजूद हैं, वेट मैनेजमेंट के लिए उनका उपयोग किया जा सकता है।
3. नींद का पूरा होना है ज़रूरी

पूरी नींद ना लेने से न केवल चिड़चिड़ापन आता है, बल्कि डायबिटीज़ और मोटापा बढ़ने की संभावना भी रहती है। हर रात 7-8 घंटे की अच्छी नींद लेने की आदत डालें। सोने से कम-से-कम एक घंटा पहले मोबाइल और लैपटॉप का इस्तेमाल बंद करें। अगर नींद बार-बार टूटती है या गहरी नींद नहीं आती, तो यह मानसिक थकान और हमेशा थका रहना जैसी स्थिति पैदा कर सकती है। गहरी नींद के लिए भी आसान टिप्स हैं, उन्हें अपनाएं, साथ ही अश्वगंधा, शंखपुष्पी जैसे आयुर्वेदिक उपायों से मदद मिल सकती है, लेकिन उपयोग से पहले किसी योग्य हेल्थ एक्सपर्ट से सलाह ज़रूर लें। अच्छी नींद के लिए भरोसेमंद स्लीप गमीज़ भी प्रयोग की जा सकती हैं।
4. संतुलित और पोषण से भरपूर भोजन लें

खाना सिर्फ पेट भरने के लिए नहीं, बल्कि शरीर को सही पोषण देने के लिए होना चाहिए। आजकल के जंक फूड में स्वाद होता है, पर पोषक तत्वों की कमी होती है, जिससे शरीर में कमजोरी आ सकती है। अपने रोज़ाना के खाने में विटामिन्स, मिनरल्स, फाइबर और प्रोटीन को शामिल करें। कभी-कभी लोग कहते हैं कि खाना खाने के बाद भी दिक्कतें महसूस होती हैं – इसका कारण पाचन से जुड़ी कमज़ोरी या पोषण की कमी हो सकती है। ऐसे में डॉक्टर की सलाह से मल्टीविटामिन सप्लीमेंट लिया जा सकता है, विशेषकर महिलाओं और बुजुर्गों के लिए यह फायदेमंद साबित होता है।
5. लिवर की देखभाल ज़रूरी

लिवर शरीर का फिल्टर है, जो खून को साफ करता है और पाचन में मदद करता है। लिवर पर ज़रूरत से ज़्यादा दबाव पड़ने पर फैटी लिवर, थकावट, अपच, पेट की समस्याएं और त्वचा की रंगत कम होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। पेट की समस्याएं जैसे गैस, भारीपन या बदहजमी लिवर की गड़बड़ी का संकेत हो सकते हैं। लिवर डिटॉक्स के लिए हल्दी, आंवला, गिलोय, शिलाजीत जैसे प्राकृतिक घटक सहायक होते हैं। इसके साथ-साथ शराब, प्रोसेस्ड फूड और देर रात भोजन से परहेज़ करें। लिवर डिटॉक्स के लिए बेहतरीन लिवर डिटॉक्स सप्लीमेंट का उपयोग किया जा सकता है।
6. पर्याप्त मात्रा में पानी पीना न भूलें

पानी शरीर की सफाई के लिए सबसे ज़रूरी तत्व है। कम पानी पीने से कब्ज, सिर दर्द और यूरिन इंफेक्शन जैसी परेशानियाँ हो सकती हैं। दिनभर में कम-से-कम 8-10 गिलास पानी पीना ज़रूरी है, खासकर गर्मियों में। पानी से शरीर के टॉक्सिन बाहर निकलते हैं और पाचन में मदद मिलती है। आप चाहें तो नारियल पानी, नींबू पानी या सौंफ-धनिया वाला हर्बल जल भी शामिल कर सकते हैं – ये स्वाद के साथ सेहत भी देते हैं।
7. नियमित दिनचर्या अपनाएं

सही दिनचर्या से शरीर और मन दोनों में स्थिरता आती है। आयुर्वेद में दिनचर्या का विशेष महत्व बताया गया है। सुबह जल्दी उठना, तय समय पर खाना और समय पर सोना – ये सब आदतें दिखने में छोटी लग सकती हैं लेकिन इनका प्रभाव शरीर की ऊर्जा और मन की शांति पर बड़ा होता है। खाने, सोने और काम करने का समय निश्चित होने से शरीर की जैविक घड़ी भी सही रहती है।
निष्कर्ष

सेहत केवल बीमारियों से बचने का नाम नहीं है, बल्कि हर दिन तरोताज़ा महसूस करने और जीवन का आनंद लेने का नाम है। ऊपर बताई गई सात आदतें अगर आप धीरे-धीरे अपनाते हैं, तो न केवल डायबिटीज़, फैटी लिवर, कोलेस्ट्रॉल और हार्ट हेल्थ से जुड़ी समस्याओं से बच सकते हैं, बल्कि मानसिक रूप से भी स्थिर और मज़बूत महसूस करेंगे।
डिस्क्लेमर:
यह लेख केवल सामान्य जानकारी और जन-जागरूकता के उद्देश्य से तैयार किया गया है। इसमें दी गई जानकारी किसी बीमारी की जांच, इलाज या चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। किसी भी सप्लीमेंट, आयुर्वेदिक औषधि या मल्टीविटामिन को अपनाने से पहले योग्य डॉक्टर या वैद्य की सलाह अवश्य लें। हर व्यक्ति की शारीरिक ज़रूरतें अलग होती हैं, इसलिए स्वयं उपचार न करें।
संदर्भ (References):
आयुर्वेद चरक संहिता – स्वास्थ्य बनाए रखने पर मूल सिद्धांत
Ministry of AYUSH, Government of India
National Institute of Nutrition – "Dietary Guidelines for Indians"
WHO – Mental health and well-being report
Harvard Health Publishing – The importance of good sleep
Mayo Clinic – Liver health and fatty liver disease
Indian Journal of Endocrinology and Metabolism – Multivitamin use in Indian population
CDC – Role of water and hydration in health
PubMed – Studies on Ashwagandha and Brahmi in managing stress and sleep
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