बढ़ता वायु प्रदूषण : दिल और दिमाग की बीमारियों के बढ़ने का खतरा

बढ़ता वायु प्रदूषण: दिल और दिमाग की बीमारियों के बढ़ने का खतरा

पिछले कई सालों से दिल्ली और NCR में अक्टूबर, नवंबर महीने में वायु प्रदूषण बहुत तेज़ी से पैर पसारता है। इन दिनों दिल्ली NCR में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 400 तक पार कर जाता है, जो गंभीर श्रेणी में आता है और सेहत के लिए बेहद हानिकारक माना जाता है। इस साल फिर से दिल्ली और उसके आसपास की वायु प्रदूषित होनी शुरू हो गयी है।

दिल्ली एनसीआर का वायु प्रदूषण अक्सर दुनिया के सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में गिना जाता है। वाहनों, औद्योगिक और बिजली संयंत्रों के उत्सर्जन में तेज़ी से वृद्धि से स्थिति और ख़राब हो जाती है।ताज़ा रिपोर्ट्स के मुताबिक यहां एक्यूआई लगातार 300 पार कर रही है। बिगड़ती हवा को देख हमें भी अपने स्वास्थ्य के प्रति  सावधानियां बरतनी शुरू कर देनी चाहिए।

वायु प्रदूषण के कारण छोटी से लेकर बेहद गंभीर बीमारियां होने का खतरा लगातार बना रहता है। प्रदूषित हवा में उपस्थित पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 जैसे सूक्ष्म कण सेहत के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकते है।

इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर की रिपोर्ट्स के अनुसार हवा में मौजूद पीएम 2.5 के संपर्क में आने से शरीर में कई तरह के कैंसर होने का खतरा होता है। यह शरीर के कई अंगो को नुक्सान पहुंचा सकता है। साथ ही अगर किसी को अगर पहले से ही कोई अन्य बीमारी है, तो पीएम 2.5 के संपर्क में आने से वह बीमारी ओर भी जटिल हो सकती है, या लम्बे समय तक ठीक नहीं हो पाती। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान है कि वायु प्रदूषण के कारण दुनिया भर में प्रतिवर्ष 4.2 लोगो की मृत्यु हो जाती है। साथ ही रिपोर्ट्स कहती है की प्रदूषण के कारण दिल संबंधी बीमारियां, तंत्रिका संबंधी विकार, जठरांत्रिय विकार (गैस्ट्रोइंटेस्टिनल डिसऑर्डर्स), गुर्दे (किडनी) के रोग, यकृत (लिवर) रोग, त्वचा रोग, ब्रोंकाइटिस और अस्थमा जैसी बीमारियां हो सकती है। जो लम्बे समय तक रहे तो जानलेवा भी हो सकती है।

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वायु प्रदूषण हमारे दिमाग पर भी खतरनाक प्रभाव डाल सकता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन की रिपोर्ट के अनुसार वायु प्रदूषण के प्रभावों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह दिमाग में संरचनात्मक बदलाव का कारण बन सकता है। बच्चों में यह तंत्रिका तंत्र के विकास को प्रभावित कर सकता है, जिससे दिमाग में सूजन का खतरा बढ़ जाता है और अल्जाइमर या डिमेंशिया जैसी न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का जोखिम बढ़ सकता है। खराब वायु गुणवत्ता का संबंध याददाश्त की कमजोरी, ध्यान की कमी और संज्ञानात्मक कार्यक्षमता (कॉग्निटिव फंक्शनलिटी) में गिरावट से भी होता है।

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इंडियन जर्नल ऑफ कार्डियोलॉजी की रिपोर्ट के मुताबिक, बढ़ता वायु प्रदूषण दिल के स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है। पीएम 2.5 कण हमारे दिल के लिए हानिकारक होते हैं। ये कण फेफड़ों में गहराई से पहुंचकर रक्त वाहिकाओं (ब्लड वेसल्स) और दिल को नुकसान पहुंचा सकते हैं। शोध से पता चला है कि लंबे समय तक प्रदूषित हवा में रहने से दिल की बीमारियों का खतरा और दिल के दौरे का जोखिम काफी बढ़ जाता है।

 

बढ़ते प्रदूषण के चलते हमें अपना,अपने परिवार और खासकर बीमार व्यक्तियों, छोटे बच्चो के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए और स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए।

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